Sunday, November 13, 2011

Phir Teri Yaad Aayi hai…


अरसो बाद आज फुर्सत से जो बैठा तो फिर तेरी याद आई है...
होठों पे आई है एक मुस्कान पर दिल में आई तन्हाई है!


तन्हाई में भीगी ये सुबह मुझसे है कुछ कह रही...
क्यों तेरी यादों को ये गुनगुनी धुप है गुदगुदा रही!
यूँ तो गुजारे है हमने चंद ही लम्हे ज़िन्दगी के साथ में...
पर लगता नहीं ज़िन्दगी कभी मुमकिन भी होगी बिना तेरे याद में!!


कुछ ही दिनों की बात है आई थी मेरी ख्वाबों में तुम सन्नाटे की तरह...
ढूंढ ही लिया दिल ने आखिर तेरे उन पैरों के निसान!
यकीं नहीं होता की दूर रहके भी तुम हो मेरे इतने पास...
ये तेरी मोहब्बत ही हैं जो देता है हर पल ज़िन्दगी का एहसास!!


कल बातें की थी हमने ढेर सारी तेरी तस्वीर से...
चुप बैठी रही तेरी तस्वीर पर देखी तेरी आखों में एक सच्चाई है!
ऐसा लगा जैसे जानता हूँ तुझे मैं बरसो से...
फिर होठों पे आई है एक मुस्कान पर दिल में आई तन्हाई है!!


बढ़ने लगी है लोगो की नाराजगी जो पास नहीं है मेरे वक़्त का होना...
पर कहाँ किसी के लिए है मुमकिन सबके लिए एक सा होना!
और हमारी फितरत भी तो नहीं, किसो को नाखुश देखना...
इसी उलझन में तन्हाई पास आई है, न चाहा भी तो फिर से तेरी याद आई है!!